फिर याद बहुत आयेगी ज़ुल्फ़ों की घनी शाम जब धूप में साया कोई सर पर न मिलेगा आँसू को कभी ओस का क़तरा न समझना ऐसा तुम्हें चाहत का समुंदर न मिलेगा! #जुल्फ़ों की घनी शाम