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मैं लिपटा सोने में चमक बरकरार है, पर सुख का दरिया

मैं लिपटा सोने में चमक बरकरार है,
पर सुख का दरिया क्यूं दुखों के पार है,
मेरी छोटी सी खरोच पे सारा अस्पताल नाचता है,
पर मुस्कुराहट तो जख्मों के बाद आता है,
मैं अमीर का पहन के चोगा झूठी हसीं की आदत है,
वो गरीब कैसे खुश है बस ये छोटी सी शिकायत है।

मैंने महंगे वस्त्रों का तुझको दान चढ़ाया है,
सोने का मुकुट भी तुझको पहनाया है,
तेरे दर से मैंने कलंक मिटाने गरीबों को भगाया है,
पर फिर भी सुकून मेरे हिस्से में क्यूं नहीं आया है,
मेरे ख्वाहिशों पे चुप्पी की तुझको आदत है,
वो गरीब कैसे खुश है बस ये छोटी सी शिकायत है।

तेरे दर पे मैंने लाखों बार सर पटका है,
पर तूने मुझे सदा ही झटका है,
तू क्यों गरीबों में बैठा मिलता है,
कमल के जैसा तू कीचड़ में खिलता है,
पर मुझे सुकून खोने की आदत है,
मैं लिपटा सोने में चमक बरकरार है,
पर सुख का दरिया क्यूं दुखों के पार है,
मेरी छोटी सी खरोच पे सारा अस्पताल नाचता है,
पर मुस्कुराहट तो जख्मों के बाद आता है,
मैं अमीर का पहन के चोगा झूठी हसीं की आदत है,
वो गरीब कैसे खुश है बस ये छोटी सी शिकायत है।

मैंने महंगे वस्त्रों का तुझको दान चढ़ाया है,
सोने का मुकुट भी तुझको पहनाया है,
तेरे दर से मैंने कलंक मिटाने गरीबों को भगाया है,
पर फिर भी सुकून मेरे हिस्से में क्यूं नहीं आया है,
मेरे ख्वाहिशों पे चुप्पी की तुझको आदत है,
वो गरीब कैसे खुश है बस ये छोटी सी शिकायत है। शिकायत भी 
मोहब्बत का ही एक अंदाज़ है।

कुछ इसी अंदाज़ में 
एक छोटी सी शिकायत लिखें।

#छोटीसीशिकायत
#collab
मैं लिपटा सोने में चमक बरकरार है,
पर सुख का दरिया क्यूं दुखों के पार है,
मेरी छोटी सी खरोच पे सारा अस्पताल नाचता है,
पर मुस्कुराहट तो जख्मों के बाद आता है,
मैं अमीर का पहन के चोगा झूठी हसीं की आदत है,
वो गरीब कैसे खुश है बस ये छोटी सी शिकायत है।

मैंने महंगे वस्त्रों का तुझको दान चढ़ाया है,
सोने का मुकुट भी तुझको पहनाया है,
तेरे दर से मैंने कलंक मिटाने गरीबों को भगाया है,
पर फिर भी सुकून मेरे हिस्से में क्यूं नहीं आया है,
मेरे ख्वाहिशों पे चुप्पी की तुझको आदत है,
वो गरीब कैसे खुश है बस ये छोटी सी शिकायत है।

तेरे दर पे मैंने लाखों बार सर पटका है,
पर तूने मुझे सदा ही झटका है,
तू क्यों गरीबों में बैठा मिलता है,
कमल के जैसा तू कीचड़ में खिलता है,
पर मुझे सुकून खोने की आदत है,
मैं लिपटा सोने में चमक बरकरार है,
पर सुख का दरिया क्यूं दुखों के पार है,
मेरी छोटी सी खरोच पे सारा अस्पताल नाचता है,
पर मुस्कुराहट तो जख्मों के बाद आता है,
मैं अमीर का पहन के चोगा झूठी हसीं की आदत है,
वो गरीब कैसे खुश है बस ये छोटी सी शिकायत है।

मैंने महंगे वस्त्रों का तुझको दान चढ़ाया है,
सोने का मुकुट भी तुझको पहनाया है,
तेरे दर से मैंने कलंक मिटाने गरीबों को भगाया है,
पर फिर भी सुकून मेरे हिस्से में क्यूं नहीं आया है,
मेरे ख्वाहिशों पे चुप्पी की तुझको आदत है,
वो गरीब कैसे खुश है बस ये छोटी सी शिकायत है। शिकायत भी 
मोहब्बत का ही एक अंदाज़ है।

कुछ इसी अंदाज़ में 
एक छोटी सी शिकायत लिखें।

#छोटीसीशिकायत
#collab
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