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मंदिर के बाहर बैठे थे ना जाने कितने दिनों से भूखे

मंदिर के बाहर बैठे थे ना जाने कितने दिनों से भूखे वो 
और हम तुझे छप्पन भोग चढ़ा रहे थे, 
सुन ना ख़ुदा हम फिर भी खुद को इंसान बता रहे थे.. 
ठंड से ना जाने कितनो की जान निकल रही थी 
और हम मजार पर चादर चढ़ा रहे थे, 
सुन ना ख़ुदा हम फिर भी खुद को इंसान बता रहे थे.. 
 Thanks to unknown alfaz for poking me...#insaniyat #wepeople #ourthinking #yqbaba #yqbesthindiquotes #shalinisahu
मंदिर के बाहर बैठे थे ना जाने कितने दिनों से भूखे वो 
और हम तुझे छप्पन भोग चढ़ा रहे थे, 
सुन ना ख़ुदा हम फिर भी खुद को इंसान बता रहे थे.. 
ठंड से ना जाने कितनो की जान निकल रही थी 
और हम मजार पर चादर चढ़ा रहे थे, 
सुन ना ख़ुदा हम फिर भी खुद को इंसान बता रहे थे.. 
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shalinisahu4155

Shalini Sahu

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