Nojoto: Largest Storytelling Platform

White किसी को दो जुन की रोटी तक नही मिलती, वहीं को

White किसी को दो जुन की रोटी तक नही मिलती,
वहीं कोई अपनी तोंद फुलाए बैठे हैं ।

श्रम करने वाले जहां खुले आस्मां में सोते हैं ,
वहीं रईसजादे अपनी महल सजाए बैठे हैं ।

 यहां गरीबों के हक में भी लड़ा जाए कैसे,
जहां दफ्तरों में बैठे अफसर भी अपनी ठाठ जमाए बैठे हैं

अमीर गरीब, ऊंच नीच,जाती,रंग का भेद कब तक,
बस सियासी खेल है ये, गद्दी पे रहने वाले गरीबों को उलझाए बैठे हैं।

रील्स के जमाने का आलम अब ऐसा है यहां पे
ज़रूरतमंडो से भी हम अपने व्यूज कमाए बैठे हैं ।

प्यार से बोलने वाले बहुत ही कम मिलेंगे यहां अब
सब यहां खुद को एक हथियार बनाए बैठे हैं ।

आपसी मतभेद में ही उलझे हुए हैं युवा भी हमारे,
इंसानियत की परिभाषा आजकल सब भुलाए बैठे हैं

कहा था तुमने भी कभी, ता उम्र हम साथ बिताएंगे ,
इसी उम्मीद में हम भी भीड़ में खुद को टिकाए बैठे हैं ।

आज मंजिल पे अपने पहुंच रहे हो तो देखो गौरव,
भला बुरा कहने वाले भी आज हमपे दिल लुटाए बैठे हैं।

©Gaurav Prateek
  #अपनी_कलम_से 
#अपनी_आवाज 
 Shilpa Yadav ᴥ*maggie*ᴥ Aman Singh Simran Thakur कवि आलोक मिश्र "दीपक"  Urmeela Raikwar (parihar) Anshu writer Nîkîtã Guptā Rakesh Kumar Das  Rakhie.. "दिल की आवाज़" Farooq Farooqui Miss shine Nitish Tiwary Sardar Govind Singh Singer  Ajay Kumar Jazz R.P Nandani patel Sm@rty Divi p@ndey  asharafaalli Muna Uncle