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जो हाथ नहीं उठते हों भलाई उन हाथों की मुट्ठी बंद

जो हाथ नहीं उठते हों भलाई 
उन हाथों की मुट्ठी बंद रखो
बंद मुट्ठी लाख की कहलाई 
खाक बनो न याद रखो।।

©vimlesh Gautam
  #कैंसर