तमाम सवालों के जवाब में मैं निशब्द हो जाऊं शोर से भरी जिंदगी का मैं सन्नाटा बन जाऊं ख्वाइशों का घोंसला कहीं गिर है गया जिम्मेदारियों की आंधी सब उड़ा ले गई मन की हलचल कहे एक बार उसे फिर से ले आऊं ©sakshi Awasthi लफ्ज़ों के गुलिस्तां # साक्षी अवस्थी #dusk