Nojoto: Largest Storytelling Platform

काश कभी ज़िंदगी मे किसी से मुलाकात ना होतीं तो

काश कभी ज़िंदगी मे किसी  से 
मुलाकात ना होतीं 
तो सायद आज इस ज़िंदगी मे तकलीफ की कोई बात ही ना 
उसकी आखे किसी को देखती हैं तो हम खुद को संहाल क्यु नहीं पाते 
जानते है वो मेरा हैं नही
 ऐ ज़िंदगी इस बात को हम मान क्यु नहीं पाते

ऐ ज़िंदगी तुझसे इतना परेसान हो गए हैं 
क्यु हम इतने कमजोर इतने लाचार हों गए है
आज फिर किसी ने रुलाया हैं 
उसे कौन बताए बड़ी मुश्किल से मैंने खुद को पाया हैं 
उसकी तकलीफ मुझे तकलीफ देती हैं 
उसकी खुसियो के लिए मैं खुद को कुर्बान कर दु
माना उसके लिए मैं कुछ नहीं 
मेरा बस चले तो अपनी खुसिया भी उसे दान कर दु

©manshisingh@gmail.com
  #SunSet