प्यार ज़ब जिस्मानी और रूह मे नादानी हो जाती है अल्फाज भी फीके लगते है झूठी ज़ब कोई कहानी हो जाती है वादों मे क्या है, जाने क्यू सब मुकर जाते है जीवन भर साथ देने की कसमें खाकर भी लौटकर नहीं आते है रेत के घर जैसे सपने दिखाकर अनंत के अफ़साने बुन जाते है झूठी सच्ची बातें करके जज्बातों से खेल जाते है अब गैर मौजूदगी पर गजल लिखते है जिनकी मौजूदगी से जिंदगी रूहानी हो जाती है अल्फाज़ भी फीके लगते है झूठी ज़ब कोई कहानी हो जाती है............ रूहानी राज