मैं शुष्क हृदय में नमी ढूंढता हूँ मैं शुष्क नयन में नदी ढूंढता हूँ मानवता जब भौतिकता से घिर जाती है मैं मौन लिए प्रतिध्वनि ढूंढता हूँ । #अस्तित्व