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नज़रें झुका के चले हुस्न, नहीं रहा वो ज़माना । कि

नज़रें झुका के चले हुस्न, 
नहीं रहा वो ज़माना ।
किसकी कहाँ नजर, 
नज़रें करती रहती मुआयना ।। ♥️ आइए लिखते हैं दो मिसरे प्यार के। 😊

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें। 💐

♥️ केवल 2 पंक्ति लिखनी हैं और वो भी प्यार की।

♥️ कृपया स्वरचित एवं मौलिक पंक्तियाँ ही लिखें।
नज़रें झुका के चले हुस्न, 
नहीं रहा वो ज़माना ।
किसकी कहाँ नजर, 
नज़रें करती रहती मुआयना ।। ♥️ आइए लिखते हैं दो मिसरे प्यार के। 😊

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ashokmangal4269

Ashok Mangal

New Creator