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#अभिव्यक्ति एक कला.... भाषा के प्रारूप से पहले ख

#अभिव्यक्ति एक कला....

भाषा के प्रारूप से पहले 
खोज लिए थे हमने
साधन..अभिव्यक्ति के ! 

१)
अभिव्यक्ति की श्रृंखला में..
रखना चाहूँगी सर्वप्रथम
उन अनाम चित्रकारों को 
दिया था उकेर, जिन्होंने..
अनुभवों और संवेदनाओं को
कंदराओं के 
निष्प्राण पाषाणों पर....।
वे अभिव्यक्ता..
हैं उन भित्ति चित्रों में.. आज भी..!
वे प्रस्तर..
हैं लेते निश्वास..आज भी..!

२)
फिर इस श्रृंखला में....
रखना चाहूँगी 
प्रेम में लिखे गए
उन असंख्य प्रेम-पत्रों को 
जो हैं प्रमाण..
प्रेमियों की भावप्रवणता के..!
और जिनको..
करते ही स्पर्श,
हो उठती हैं स्पंदित
मृत शिराएँ हृदय की..
आज भी..!

३)
इसी श्रृंखला में.... 
रखना चाहूँगी
प्रत्येक लेखक और कवि को 
जिसने..
असीम अभिव्यक्ति के 
लेशमात्र में ही..
रख लिया स्वयं को
अस्तित्वमय..!
और कर लिया 
अपनेआप को
सदा के लिए स्थापित
एक कलाकार के रूप में..।।

वस्तुतः...
अभिव्यक्ति एक कला जो ठहरी
और अभिव्यक्ता एक कलाकार..!!

--सुनीता डी प्रसाद💐💐 #अभिव्यक्ति एक कला....

भाषा के प्रारूप से पहले 
खोज लिए थे हमने
साधन..अभिव्यक्ति के ! 

१)
अभिव्यक्ति की श्रृंखला में..
#अभिव्यक्ति एक कला....

भाषा के प्रारूप से पहले 
खोज लिए थे हमने
साधन..अभिव्यक्ति के ! 

१)
अभिव्यक्ति की श्रृंखला में..
रखना चाहूँगी सर्वप्रथम
उन अनाम चित्रकारों को 
दिया था उकेर, जिन्होंने..
अनुभवों और संवेदनाओं को
कंदराओं के 
निष्प्राण पाषाणों पर....।
वे अभिव्यक्ता..
हैं उन भित्ति चित्रों में.. आज भी..!
वे प्रस्तर..
हैं लेते निश्वास..आज भी..!

२)
फिर इस श्रृंखला में....
रखना चाहूँगी 
प्रेम में लिखे गए
उन असंख्य प्रेम-पत्रों को 
जो हैं प्रमाण..
प्रेमियों की भावप्रवणता के..!
और जिनको..
करते ही स्पर्श,
हो उठती हैं स्पंदित
मृत शिराएँ हृदय की..
आज भी..!

३)
इसी श्रृंखला में.... 
रखना चाहूँगी
प्रत्येक लेखक और कवि को 
जिसने..
असीम अभिव्यक्ति के 
लेशमात्र में ही..
रख लिया स्वयं को
अस्तित्वमय..!
और कर लिया 
अपनेआप को
सदा के लिए स्थापित
एक कलाकार के रूप में..।।

वस्तुतः...
अभिव्यक्ति एक कला जो ठहरी
और अभिव्यक्ता एक कलाकार..!!

--सुनीता डी प्रसाद💐💐 #अभिव्यक्ति एक कला....

भाषा के प्रारूप से पहले 
खोज लिए थे हमने
साधन..अभिव्यक्ति के ! 

१)
अभिव्यक्ति की श्रृंखला में..