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सीता तो सदियों से थी राम की और सदियों को तैयारी थी

सीता तो सदियों से थी राम की
और सदियों को तैयारी थी
ये सारी लीला सिर्फ नाम की
बस एक रस्म ये सारी थी

सीता को वर पाने की कोशिश
भूल राजाओं की भारी थी
एक स्वयंवर रचा गया
वीरों से सजी सभा अति न्यारी थी

शिव जी के दिव्य धनुष
पर प्रत्यंचा की तैयारी थी
 धनुष उठाने की कोशिश
एक एक करके जारी थी

गर्व और अतिविश्वास से भरे 
भारत के कोने कोने से आए
वीर अतिवीर राजाओं के
अट्टाहस की गर्जना अतिभारी थी
(शेष कैप्शन में जरूर पढ़ें)

©Rakhee ki kalam se सीता तो सदियों से थी राम की
और सदियों को तैयारी थी
ये सारी लीला थी नाम की
बस एक रस्म ये सारी थी

सीता को वर पाने की कोशिश
भूल राजाओं की भारी थी
एक स्वयंवर रचा गया
सीता तो सदियों से थी राम की
और सदियों को तैयारी थी
ये सारी लीला सिर्फ नाम की
बस एक रस्म ये सारी थी

सीता को वर पाने की कोशिश
भूल राजाओं की भारी थी
एक स्वयंवर रचा गया
वीरों से सजी सभा अति न्यारी थी

शिव जी के दिव्य धनुष
पर प्रत्यंचा की तैयारी थी
 धनुष उठाने की कोशिश
एक एक करके जारी थी

गर्व और अतिविश्वास से भरे 
भारत के कोने कोने से आए
वीर अतिवीर राजाओं के
अट्टाहस की गर्जना अतिभारी थी
(शेष कैप्शन में जरूर पढ़ें)

©Rakhee ki kalam se सीता तो सदियों से थी राम की
और सदियों को तैयारी थी
ये सारी लीला थी नाम की
बस एक रस्म ये सारी थी

सीता को वर पाने की कोशिश
भूल राजाओं की भारी थी
एक स्वयंवर रचा गया