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स्थापित है मेरे सीने में। पूजता हूं रात-दिन जिसे म

स्थापित है मेरे सीने में।
पूजता हूं रात-दिन जिसे मैं।
तेरे सिवा न चाहा किसी को
तेरे सिवा न देखा किसी को
तेरे बिना क्या रक्खा है जीने मैं।
आए न आए तू, तेरी मर्जी
मुंतजिर रहूंगा तुम्हारा ही
जीवन नैया दे दी तेरे हाथों में
न करना छेद इस सफीने में।

©Nilam Agarwalla #तेरीतस्वीर
स्थापित है मेरे सीने में।
पूजता हूं रात-दिन जिसे मैं।
तेरे सिवा न चाहा किसी को
तेरे सिवा न देखा किसी को
तेरे बिना क्या रक्खा है जीने मैं।
आए न आए तू, तेरी मर्जी
मुंतजिर रहूंगा तुम्हारा ही
जीवन नैया दे दी तेरे हाथों में
न करना छेद इस सफीने में।

©Nilam Agarwalla #तेरीतस्वीर