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नित जीवन के संघर्षों से जब टूट चुका हो अंतर्मन तब

नित जीवन के संघर्षों से
जब टूट चुका हो अंतर्मन
तब सुख के मिले
समंदर का रह जाता
कोई अर्थ नहीं
जब फसल सूख कर तिनका तिनका
बन गिर जाये फिर होने वाली
वर्षा का रह जाता कोई अर्थ नहीं
संबंध कोई भी हो
लेकिन यदि दुख में साथ ना दे अपना
फिर सुख में उन संबंधों का
रह जाता कोई अर्थ नहीं
छोटी-छोटी खुशियों के
 क्षण निकले जाते हैं रोज जहां
फिर सुख की नित्य परीक्षा का
रह जाता कोई अर्थ नहीं
मन कटु वाणी से आहत हो
भीतर तक छलनी हो जाए
फिर बाद कहे प्रिय वचनों का
रह जाता कोई अर्थ नहीं
सुख साधन चाहे जितने हो
पर काया रोगों का घर हो
फिर उन अनगणित सुविधाओं का
रह जाता कोई अर्थ नहीं

©वंदना .... #रचनाकार : .#रामधारी सिंह दिनकर .
.🙏🙏
#कोशी अर्थ नहीं ...
नित जीवन के संघर्षों से
जब टूट चुका हो अंतर्मन
तब सुख के मिले
समंदर का रह जाता
कोई अर्थ नहीं
जब फसल सूख कर तिनका तिनका
बन गिर जाये फिर होने वाली
वर्षा का रह जाता कोई अर्थ नहीं
संबंध कोई भी हो
लेकिन यदि दुख में साथ ना दे अपना
फिर सुख में उन संबंधों का
रह जाता कोई अर्थ नहीं
छोटी-छोटी खुशियों के
 क्षण निकले जाते हैं रोज जहां
फिर सुख की नित्य परीक्षा का
रह जाता कोई अर्थ नहीं
मन कटु वाणी से आहत हो
भीतर तक छलनी हो जाए
फिर बाद कहे प्रिय वचनों का
रह जाता कोई अर्थ नहीं
सुख साधन चाहे जितने हो
पर काया रोगों का घर हो
फिर उन अनगणित सुविधाओं का
रह जाता कोई अर्थ नहीं

©वंदना .... #रचनाकार : .#रामधारी सिंह दिनकर .
.🙏🙏
#कोशी अर्थ नहीं ...