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इस काली रात में कुछ डरावना एहसास है मेरी ख्वाहिश क

इस काली रात में कुछ डरावना एहसास है
मेरी ख्वाहिश कहीं अधूरी न रह जाये
सुबह कब होगी मेरी कब आंख खुले
मेरी मंजिल कदमों के पास हो जाये। काली रात
इस काली रात में कुछ डरावना एहसास है
मेरी ख्वाहिश कहीं अधूरी न रह जाये
सुबह कब होगी मेरी कब आंख खुले
मेरी मंजिल कदमों के पास हो जाये। काली रात