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क्या तेरा क्या मेरा (लघु कथा) नगर में बह

क्या तेरा क्या मेरा (लघु कथा)           नगर में बहुत बड़ा सेठ रहता था। वो धन-धान्य से परिपूर्ण था। नगर में एक श्रेष्ठ महात्मा विराजते थे। उनके मुखारविंद से हमेशा ज्ञान की गंगा बहती थी । वो जीवन को सरल तरीके से कैसे जिया जाए? बताते रहते थे। कहते थे जो कुछ है, वह ईश्वर का है और हमें अपने कर्मों की अनुसार सुख और दुख की प्राप्ति होती है। "क्या तेरा क्या मेरा सब कर्मो के अनुसार" उक्ति दोहराते रहते थे। सेठ को अपने व्यापार से ही फुर्सत नहीं थी। वह स्वार्थ और बेमानी के नक्शे कदम पर चल पड़ा था । उसे सिर्फ धन की चाहत थी । अपने कर्मों से वो जान बूझकर अनजान था । कभी महात्मा के प्रवचन और ज्ञान का लाभ नहीं ले पाया।
          सेठ का व्यापार अच्छा चल रहा था । कुछ वक्त बाद समय परिवर्तित हुआ । उसको बहुत हानी हुई, हानी इतनी बड़ गई, जिससे सेठ राजा से रंक हो गया। निर्धन होकर भटकता रहा। अपने किए कर्मों को सोचता रहा और अपने किए पर पश्चाताप करने लगा। 
          कुछ वक़्त बाद उसका महात्मा से साक्षात्कार हुआ उनके वचन सुन कर उसके मन मे बुरे कर्म छोडकर अच्छे कर्म करने की ईच्छा जागी । वो अब यही सोचता क्या तेरा क्या मेरा सब ईश्वर का है। वो मेहनत और ईमानदारी से कर्म करने लगा।कुछ समय बाद वो समृद्धी से पूर्ण हो गया।

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क्या तेरा क्या मेरा (लघु कथा)           नगर में बहुत बड़ा सेठ रहता था। वो धन-धान्य से परिपूर्ण था। नगर में एक श्रेष्ठ महात्मा विराजते थे। उनके मुखारविंद से हमेशा ज्ञान की गंगा बहती थी । वो जीवन को सरल तरीके से कैसे जिया जाए? बताते रहते थे। कहते थे जो कुछ है, वह ईश्वर का है और हमें अपने कर्मों की अनुसार सुख और दुख की प्राप्ति होती है। "क्या तेरा क्या मेरा सब कर्मो के अनुसार" उक्ति दोहराते रहते थे। सेठ को अपने व्यापार से ही फुर्सत नहीं थी। वह स्वार्थ और बेमानी के नक्शे कदम पर चल पड़ा था । उसे सिर्फ धन की चाहत थी । अपने कर्मों से वो जान बूझकर अनजान था । कभी महात्मा के प्रवचन और ज्ञान का लाभ नहीं ले पाया।
          सेठ का व्यापार अच्छा चल रहा था । कुछ वक्त बाद समय परिवर्तित हुआ । उसको बहुत हानी हुई, हानी इतनी बड़ गई, जिससे सेठ राजा से रंक हो गया। निर्धन होकर भटकता रहा। अपने किए कर्मों को सोचता रहा और अपने किए पर पश्चाताप करने लगा। 
          कुछ वक़्त बाद उसका महात्मा से साक्षात्कार हुआ उनके वचन सुन कर उसके मन मे बुरे कर्म छोडकर अच्छे कर्म करने की ईच्छा जागी । वो अब यही सोचता क्या तेरा क्या मेरा सब ईश्वर का है। वो मेहनत और ईमानदारी से कर्म करने लगा।कुछ समय बाद वो समृद्धी से पूर्ण हो गया।

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Krish Vj

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