بدل کے رکھ دیا مجھکو نظر کے تیر نے، لہو بھی نہ بہ سکا اور شہید ہو کۓ اا کچھ زیارت نہ ہو سکی نہ رسمِ بوسہ ہوا، بن کہے ہی کچھ اسکے ہم مُرید ہو گئے اا बदल के रख दिया मुझको नज़र के तीर ने, लहू भी न बह सका और शहीद हो गये اا कुछ ज़ियारत न हो सकी न रसमे बूसा हुआ, बिन कहे ही कुछ उसके हम मुरीद हो गये اا ज़ियारत - मुंह देखना, रस्मे बूसा - हाथ चूमने की रस्म, मुरीद - शिष्य, आस्था रखने वाला #yqurdu #yqbhaijan #yqlove #yqquotes #yqlife #yqtales #badalkar #collab