मेरे बाद जाते-जाते मुहब्बत की, आख़िरी बिदाई दिये जाना । बनके बारिश सी बूँदें, आँखों से तुम बरसना ।। ज़रा अश्कों से अपने, मेरे सूखे कब्र को भिगोना । गर हो जाऊँ मैं जब रूख़सत-ए-ज़िन्दग़ी ।। तुम जन्नत सा अपना जहाँ इक बसाना । करना इतनी दया, ना याद करना हमें ।। प्यार मेरा किसी और संग जब निभाना । कर देना दफ़न मेरी यादों को दिल में ।। तुम किसी की नयी, ज़िन्दग़ी बन मुस्कुराना । चलो इन होठों को फ़िर से, मुकम्मल हँसी मिल गयी ।। अब मेरी रूह को ना होगा, यूँ दर-दर भटकना । गर हो जाऊँ मैं जब रूख़सत-ए-ज़िन्दग़ी ।। राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी (भाग-3) मेरे बाद