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गांधार देश की थी राजकुमारी गांधारी, कन्या थी वो सु

गांधार देश की थी राजकुमारी गांधारी, कन्या थी वो सुबल राज्य की।
ब्याह कर अाई हस्तिनापुर फ़िर शिवभक्तनी, रानी बनी वो धृतराष्ट्र की।।
पतिव्रता थी नारी वो सत्य सत्यवती, आदर्श का लहराया परचम महान।
बांध ली आंखों पर वो पट्टी, ना हो नेत्रहीन धृतराष्ट्र को हीनता का एहसास।।
परम शिवभक्तनी नारी, कर तपस्या पाया शिव से सौ पुत्रों का वरदान।
गर्भाधान के 2 वर्ष बाद भी पुत्र ना पाकर, वो हुई हताश और निराश।।
क्रोध और ईर्ष्या के वशीभूत होकर, किया उसने अपने उदर पर प्रहार।
फ़िर उदर से निकला मांसपिंड, पड़ी अचरज में गांधारी, कैसा ये आकर।।
प्रकट हुए जब ऋषि वेद व्यास, फ़िर सुनाई गांधारी अपनी आपबीती।
ऋषि के निर्देशानुसार कर करके, पाई वो फ़िर सौ संतानों की प्रीति।।
सौ पुत्रों की फ़िर वो माता बानी, पाई गांधारी पुत्री दुष्शला सुकुमारी।
धर्म का भी कभी ना उसने त्याग किया, पुत्र मोह में भी पड़ी गांधारी।।
हो चाहे लक्ष्याग्रह, या हो द्रोपदी वस्त्र हरण, सबका किया उसने विरोध।
अाई फ़िर जब पुत्र प्रेम की बारी, समस्त शक्ति से बनाया उसे वज्र सा कठोर।।
पुत्र मोह में फंसकर, दिया विवश मा गांधारी ने भगवान श्रीकृष्ण को श्राप।
जैसे हुआ मेरे कुल ना नाश, संग तुम्हारे हो जायेगा तुम्हारे कुल का विनाश।।
थी वो आदर्श नारी, पतिव्रता में महान, इतिहास भी करता जिसका सम्मान।
शीश झुकाकर कर उदय दुलारी नेह भी, करती गांधारी को शत शत प्रणाम।।  #yqbaba #yqdidi  #myquote #openforcollab  #collabwithmitali #mahabharat_charitra #माता_गांधारी


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पतिव्रता थी नारी वो सत्य सत्यवती, आदर्श का लहराया परचम महान।
बांध ली आंखों पर वो पट्टी, ना हो नेत्रहीन धृतराष्ट्र को हीनता का एहसास।।
परम शिवभक्तनी नारी, कर तपस्या पाया शिव से सौ पुत्रों का वरदान।
गर्भाधान के 2 वर्ष बाद भी पुत्र ना पाकर, वो हुई हताश और निराश।।
क्रोध और ईर्ष्या के वशीभूत होकर, किया उसने अपने उदर पर प्रहार।
फ़िर उदर से निकला मांसपिंड, पड़ी अचरज में गांधारी, कैसा ये आकर।।
प्रकट हुए जब ऋषि वेद व्यास, फ़िर सुनाई गांधारी अपनी आपबीती।
ऋषि के निर्देशानुसार कर करके, पाई वो फ़िर सौ संतानों की प्रीति।।
सौ पुत्रों की फ़िर वो माता बानी, पाई गांधारी पुत्री दुष्शला सुकुमारी।
धर्म का भी कभी ना उसने त्याग किया, पुत्र मोह में भी पड़ी गांधारी।।
हो चाहे लक्ष्याग्रह, या हो द्रोपदी वस्त्र हरण, सबका किया उसने विरोध।
अाई फ़िर जब पुत्र प्रेम की बारी, समस्त शक्ति से बनाया उसे वज्र सा कठोर।।
पुत्र मोह में फंसकर, दिया विवश मा गांधारी ने भगवान श्रीकृष्ण को श्राप।
जैसे हुआ मेरे कुल ना नाश, संग तुम्हारे हो जायेगा तुम्हारे कुल का विनाश।।
थी वो आदर्श नारी, पतिव्रता में महान, इतिहास भी करता जिसका सम्मान।
शीश झुकाकर कर उदय दुलारी नेह भी, करती गांधारी को शत शत प्रणाम।।  #yqbaba #yqdidi  #myquote #openforcollab  #collabwithmitali #mahabharat_charitra #माता_गांधारी


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