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वो पाणिग्रहण के साथ उसका सर्वांग अपनाता था वो चुप

वो पाणिग्रहण के साथ उसका सर्वांग अपनाता था
वो चुप रहकर अपना सर्वस्व सौंप देती थी

वो आज कुछ वादे कुछ ख़्वाब फूलों के साथ लेकर आता है
वो ना कह कर अपने ख़्वाब खुद ही बुन लेना चाहती है
वो उसे अनसुना करके फिर भी अड़ा रहता है
उसकी खुशियाँ जबरदस्ती उसे थमा देना चाहता है
लेकिन वो भी तिरस्कार का सुर जानती है,
अपने बगीचे का माली खुद चुनना चाहती है

वो कल बस एक साथी बनकर खड़ा होगा
उसकी जेब में ना फूल होंगे और ना कुछ तोहफे
बस सफ़र के कुछ किस्से और कुछ हँसी ठहाके होंगे
वो भी आगे बढ़कर उसका हाथ थाम लेगी
मंजिलें आने तक हमसफ़र बन कर साथ चलेगी #कल #आज #कल #चुनौती

Anuup Kamal Agrawal जी ने नॉमिनेट किया है। मैं कुछ और लोगों को nominate करना चाहूँगी।

Neha Sharma Kanchan Mehta Diksha Lamba
वो पाणिग्रहण के साथ उसका सर्वांग अपनाता था
वो चुप रहकर अपना सर्वस्व सौंप देती थी

वो आज कुछ वादे कुछ ख़्वाब फूलों के साथ लेकर आता है
वो ना कह कर अपने ख़्वाब खुद ही बुन लेना चाहती है
वो उसे अनसुना करके फिर भी अड़ा रहता है
उसकी खुशियाँ जबरदस्ती उसे थमा देना चाहता है
लेकिन वो भी तिरस्कार का सुर जानती है,
अपने बगीचे का माली खुद चुनना चाहती है

वो कल बस एक साथी बनकर खड़ा होगा
उसकी जेब में ना फूल होंगे और ना कुछ तोहफे
बस सफ़र के कुछ किस्से और कुछ हँसी ठहाके होंगे
वो भी आगे बढ़कर उसका हाथ थाम लेगी
मंजिलें आने तक हमसफ़र बन कर साथ चलेगी #कल #आज #कल #चुनौती

Anuup Kamal Agrawal जी ने नॉमिनेट किया है। मैं कुछ और लोगों को nominate करना चाहूँगी।

Neha Sharma Kanchan Mehta Diksha Lamba
pratimatr9567

Vidhi

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