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भीड़ में खड़ा मैं, हर एक का सपना सुन रहा हूं। तकली

भीड़ में खड़ा मैं,
हर एक का सपना सुन रहा हूं।
तकलीफों से रूबरू हो रहा हूं।
टूटती उम्मीदें है कहीं, 
उकेरती ख्वाईशें हैं कहीं,
सब को अपने ख्यालों में जी रहा हूं।
जहन में एक ख्याल लिए कि,
किस्सों की ये महफिल,
घटती भीड़ के साथ,
कम होती जायेगी। 
मुझे खुद के ख्यालों के साथ 
अकेला छोड़कर।

©Rudeb Gayen
    किस्से जिंदगी के
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