कभी मत खोलना मेरी जिंदगी की किताब को हमसफ़र बना चुका हूं मैं मय खाने की शराब को क्या दिया क्या नहीं सब मालूम है उसे भूल चुका हूं हर गम और खुशी के हिसाब को मालूम नहीं कितनी शिद्दत से महसूस किया तूने उसे "मनोज" उसी के चेहरे में देखा था जो तूने असल में मेहताब को #withyou #मोहब्बत #_ए_दिल #उठाकर_हाथ_दुआओ_में_सिर्फ_तुम्हे