मर्द निकले जो मायखानों से तो बदसलूकी साथ लेकर निकले। औरत निकले जो कहीं भी जमाने में, तो कहे हया के पर्दे डालकर निकले । औरत उठाए जो आवाज तो बदचलन, मर्द जो औरत दबाएं, तो वह मर्द निकले। मयस्सर नहीं यहां सब को सब कुछ ; जो सहन करें तो घर की इज्जत, जो मांगे हक अपना तो पीड़िता निकले । बड़े हमदर्द हैं जमाने वाले, यहां हर दूसरा अपना निकले ; पर जब भी निकले, सब नकली निकले -काव्या जैन #She_and_Society #kavyajain #Irony #Society #nojatohindi #nojato