अपनों के दिए ज़ख्म पहले से अधिक फ़ुर्ती में नज़र आ रहे हो, क़दम, बिना सोचे समझे आगे बढ़ा रहे हो, कल तक हरेक मुश्किल से घबरा रहे थे तुम, आज जैसे तूफानों को भी आँखें दिखा रहे हो, क्या है वज़ह अचानक से आए इस बदलाव का, अपने सफ़र के प्रति, ये कैसे तेवर अपना रहे हो, कुछ तो हुआ है पिछले कुछ दिनों में तुम्हारे साथ, भले चंगे हो या फ़िर इसका भी ढोंग ही रचा रहे हो, यूँ बेवज़ह मुस्कुराना सीखा तुमने कब से “साकेत", हो न हो तुम किसी अपने के दिए ज़ख्म छुपा रहे हो। IG :— @my_pen_my_strength ©Saket Ranjan Shukla अपनों के दिए ज़ख्म..! . . ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ Like≋Comment