तप्ती भरी दोपहर होते ही हमारे कान खड़े हो जाते फोंड़के गुल्लक सब पैसे लेकर आ जाते सबकी डांट से बचते-बचाते बाहर नीकल आते "कुल्फी ले लो, मावे की ताज़ा कुल्फी , सीताराम की कुल्फी ख़ाके बच्चों खुश रहो".... ये सुनते ही उसे हम घेरे में ले आते मुझे दो.... मुझे भी.... बस... कुल्फी वाले को खुश और परेशान भी करते... फिर?? फिर क्या ?!! फिर आज तक उस कुल्फी सा स्वाद और वो बचपन नाहीं कभी मिला , नाही हम भूल पाएं..!! #NojotoHindi #मीरां #बचपन #यादें #life #love #childhood #memories #tales #diary