"मुझको भी तरकीब सिखा दे यार जुलाहे अकसर तुझको देखा है कि ताना बुनते जब कोई तागा टूट गया या ख़त्म हुआ फिर से बाँध के और सिरा कोई जोड़ के उसमें आगे बुनने लगते हो तेरे इस ताने में लेकिन इक भी गाँठ गिरह बुन्तर की देख नहीं सकता कोई मैंने तो एक बार बुना था एक ही रिश्ता लेकिन उसकी सारी गिरहें साफ नज़र आती हैं मेरे यार जुलाहे मुझको भी तरकीब सिखा दे यार जुलाहे" - गुलज़ार #nationalhandloomday