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#टोपी और हवा ए हवा तुम बार-बार मुझे परेशान क्यों क

#टोपी और हवा
ए हवा तुम बार-बार मुझे परेशान क्यों करती हो? 
मेरी टोपी को उड़ा कर बार-बार नदिया के पार क्यों ले जाती हो? 
तुम्हें तो पता है ना मेरे सिर में बाल नहीं है,
 कुदरत ने मेरे सारे बाल छीन लीए
 फिर क्यों तुम मेरे साथ ऐसा मजाक करती हो?
 ऐसे मत करो ना हवा,
 तुम बार-बार मेरी टोपी को ऐसे गिरावोगी
 तो, मेरी टोपी गीली हो जाती है।
और मुझे ऊपर से ठंड लग जाती है।
और तुम्हें तो यह भी पता है ,
मेरे पास दूसरे टोपी नहीं , 
ना मेरे पास इतने पैसे कि मैं खरीद सकूं।
 तो क्यों ! 
मुझे बार-बार नँचाती हो और मुझे नदिया के पार ले जाती हो।
क्या तुम्हें मेरी टोपी ही मिली खेलने के लिए।
क्यो मुझे अपना खिलौना  बनाती हो।
और मुझे अपनी मम्मी की डांट खिलवाती हो।
ऐसा काम तुम करती क्यों हो? 
पत्तों संग खेलो हवाओं के संग खेलो, 
चिड़ियों स॔ग गीत गुनगुनाओ। 
इतनी बड़ी प्रकृति है उनके साथ नाचो गाओ।
बस मेरी टोपी को तुम बार-बार न उड़ाओ।
क्योंकि तुम बार-बार मेरी टोपी को उड़ाओगी ।
मुझे बार-बार उठाने जाना पड़ेगा और झुक झुक कर
 मेरे कमर में दर्द हो जाएगा।
और मैं उठा उठा कर टोपी थक जाऊंगी
क्या !तुम्हें मेरा थकना अच्छा लगेगा?
बताओ ना... हवा ,क्या तुम्हें मेरा थकना अच्छा लगेगा 
,बताओ ना..... बताओ ना.....
क्या तुम्हें, मुझे परेशान करके मजा आएगा।
बताओ ना हवा...... क्या तुम्हें मजा आएगा।

©Deepti Garg 
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