White **जब तुम लौट आई हो** जब तुम लौट आई हो, मैं टूटा हुआ था, बेवजह मुस्कानों का खंडहर सा छूटा हुआ था। तुम्हें देख के मन में लहरें उठीं, पुरानी बातें थरथराईं, पर सोचा कहाँ थीं तुम, जब अंधेरों ने राहें समाई। वो बिछड़ने का मंजर याद है या भुला दिया, तुमने मेरे दर्द को किस बेरुखी से सजा दिया। मैं गहरी रातों में जलता रहा, अकेला और वीरान, और तुम अनजान राहों पर चलती रहीं, बेअलगान। अब जब आई हो तो सब ठहर गया है जैसे, पुरानी पत्तियों पर ओस गिरी हो, छांव से। पर ये सवाल बाकी है—तुम क्यों गई थी छोड़कर, किस इंतजार में थीं तुम, मुझसे मुंह मोड़कर? समझ न सका ये लौटना अब क्या कहता है, क्या ये एक नई शुरूआत है या भ्रम का रस्ता है। क्योंकि जब गिरा था मैं, सिर्फ़ मेरी परछाईं थी पास, अब जब खड़ा हूँ, तो तुमने लौटाया है एहसास। तो ये मेरा सवाल है, जवाब चाहे दिल से दो, कहाँ थीं तुम, जब दिल ने पुकारा था, चुपके से रो। अब आए हो, तो क्या सच में लौट आई हो, या बस पुराने ख्वाबों में एक याद बनकर छाई हो? ©Arjun Negi #good_night #uttrakhand #Chamoli #love❤️ #healing poetry quotes poetry on love hindi poetry on life