फिर मिलेंगे- मत पूछ क्या आलम है, यह दिल ज़ार ज़ार है| तेरी मोहब्बत के आगे, हुए चूर बार-बार है| दिन हफ्ते हम सब गिनते हैं, सारे महीने वो बेमिसाल हैं| नाराजगी और दूरियां भले ही ज्यादा हों,पर तुझसे इश्क भी बेशुमार है| तुझ बिन जीना नामुमकिन है, यह नींद न जाने कब से फरार है, तेरी आहटों में अपना सुकून पाना, पहले दिन से बरकरार है| तूफा है तेरी सांसे, और आंखें बस कमाल हैं| बदन चिंगारी है तो, होंठ भी खिला गुलाब है| सीने से लगाना अपने और बहते अश्कों को थाम लेना, आखिर कैसे करते हो ये सब? आज फिर वही सवाल है| तू जो रूबरू हो मेरे, यह रूह मेरी बिखरने को भी तैयार है| तेरे अल्फाज, तेरी खुशबू, यही तो इश्क-ए-जुनून के निशान हैं| हां कातिल है तेरी हंसी, तो तेरा रोना भी दर्दनाक है| पागलपन अब ये मेरा, स्याही में मिलने को बेताब है| तू कभी काली रात ही सही, पर तू ही मेरा आफताब है| माशाल्लाह तेरी नजर नजर, आज भी वही मोहब्बत बयां करती है, ठहर जाती है मुझ पर, सौ तरीकों से शुक्रिया अदा करती है| बस रांझे तू मेरे रूठ ना, जब साथ तेरे तेरी हीर है| हकीकत से अब तू जूंझ ना, मैं दरिया अगर तू नीर है| तेरे एक बार टूट जाने से, जख्म हजार आते हैं| लिखूं कागज पर स्याही से और दाग कई छप जाते हैं| फिर भी लिखा तेरे बारे एक खत मैंने, शायद अब देती हूं तुझे सुना- खुदा का फरिश्ता था या खुदा, जिंदगी कब बना पता ही ना चला| फितूर की तरह सिर पर चढ़ गया वो, वही किस्मत और हाथों की लकीरे बन गया वो| सोचती थी बस इतना कि सिर्फ एक तरफा है और मेरे सोचते-सोचते रूह में बस गया वो| कई बार बोला उसने कि तुझ में बसना है, कहते-कहते मेरा जहान बन गया वो| यही मेरी इश्के दास्तां है, बेहद प्यार के बीच कुछ मीलों का फासला है| दरिया है यह जिंदगी, कभी बहकर तो कभी ठहर कर, यह सारे रास्ते काट लेंगे| सरहदें पार कर इश्क किया था हमने, क्या ये फासले हमें बांट देंगे? फिर मिलेंगे कहकर तूने जाने दिया था, सुकून की चादर ओढ़ाकर मुझे विदा किया था| रांझे तू मेरे टूट ना, हां साथ तेरे यह तेरी हीर है|| ©kaustabhi tank #wu #writersunplugged