#OpenPoetry इस बारिश की बूंदों में दीदार तुम्हारा चाय की गर्म प्याली में चासनी की घोल सा रूह को सुकून देता है... तुम्हारे नर्म रुख्सरों से फिसलती बारिश की ये बूँदें आँखों में इस कदर चमक जाती हैं जैसे सुर्ख घने बादलों में सूरज की किरणें इंद्रधनुषीय छटा बिखेरती हैं, ज़ुल्फ़ों के घने बादलों से इन कम्बख़्त हवाओं का गुज़रना मन में एक टीस देता है कि काश ये ज़ुल्फ़ें मेरे रुख्सरों से एकबार सरकते तो इनमें उलझे सीपियों को बंद कर तेरी यादों की माला पिरोता... #नज़्म