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ऐ कान्हा जरा मोर मुकुट तो चमकाना अपने आने का हमे

ऐ कान्हा जरा मोर मुकुट तो चमकाना 
अपने आने का हमे संदेसा तो देना।। 

नटखट अदांओ से जरा दिल बैहलाना 
माखन जरा चुपके से खाना 
वरना यशोदा मय्या की दाट खाना।। 

राधा को जरा धिरे से बुलाना 
वन मे रास लीला जमके खेलना
 मगर दही कि हंडी सबको लेके फोडना।।

द्रोपदी लांज महाभारत मे ही नही तो कलयुग मे भी बचाना
अब आना हर बरस आना 
नंदजी के ओ प्यारे नंदलाला ।।

ऐ कान्हा जरा मोर मुकुट तो चमकाना 
अपने आने का हमे संदेसा तो देना।।

नितस्मित पेंशनवार

©nitukolhe nitsmit penshanwar नंदलाला 

#janmaashtami
ऐ कान्हा जरा मोर मुकुट तो चमकाना 
अपने आने का हमे संदेसा तो देना।। 

नटखट अदांओ से जरा दिल बैहलाना 
माखन जरा चुपके से खाना 
वरना यशोदा मय्या की दाट खाना।। 

राधा को जरा धिरे से बुलाना 
वन मे रास लीला जमके खेलना
 मगर दही कि हंडी सबको लेके फोडना।।

द्रोपदी लांज महाभारत मे ही नही तो कलयुग मे भी बचाना
अब आना हर बरस आना 
नंदजी के ओ प्यारे नंदलाला ।।

ऐ कान्हा जरा मोर मुकुट तो चमकाना 
अपने आने का हमे संदेसा तो देना।।

नितस्मित पेंशनवार

©nitukolhe nitsmit penshanwar नंदलाला 

#janmaashtami