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मदर्स डे 2022 मदर्स डे 2023 हम्मा मांताओ की जिम्मे

मदर्स डे 2022 मदर्स डे 2023 हम्मा मांताओ की जिम्मेदारी हो जाती है कि हम बेटियों के लिए यह  सुरक्षित संसार बनाए और इसके लिए जरूरी है कि हम माताओं के साथ जो भी अपराध होता है उसको हम कहे और न्याय मांगे 2015 में हुए बलात्कार की घटना के बाद इसकी शिकायत राष्ट्रीय महिला आयोग से की लेकिन किन्ही कारणों से एफ आई आर दर्ज नहीं हुई 2019 में एफ आई आर दर्ज हुई।   बलात्कार स्थल - बलात्कार की घटना घटी लीला गेस्ट हाउस-लीला गेस्ट हाउस का बोर्ड लगा था बहुत खोजने के बाद भी यह  लीला गेस्ट हाउस नहीं मिला ।  तब लगा कि कहीं कुछ तो गलत है तब कोर्ट फाइल में एक दिन आरोपी के बयान पड़े तो उसमें अंकित गेस्ट हाउस का नाम था इंटरनेट पर खोजा अंकित गेस्ट हाउस की पिक्चर्स देखी फोटो देखकर मैं समझ गई कि यही वह बलात्कार का स्थान है जिसका नाम बदल दिया गया था और अंकित गेस्ट हाउस से लीला गेस्ट हाउस हो गया था पुलिस जांच में पहले एस आर लग गई थी कि मामला झूठा है महिला को बलात्कार स्थल का ही पता नहीं है जब उसकी फोटो देखी तो पुलिस से कहा कि  उस गेस्ट हाउस को देख कर आए क्या वही जगह है लेकिन पुलिस ने जाने से मना कर दिया । मैंने हार नहीं मानी मदर्स डे का दिन था और साल 2022 पुलिस थाने गई और मैंने कहा मुझे अंकित गेस्ट हाउस देखना है कोर्ट ने पुनः जांच के आर्डर किए थे पुलिस का फर्ज था कि वह मुझे अंकित गेस्ट हाउस ले जाती लेकिन उन्होंने किसी महिला स्पेक्टर का थाने में ना होना कहकर मुझे दूसरे दिन आने को कहा दूसरे दिन भी बहाना बनाकर अंकित गेस्ट हाउस ले जाने से मना कर दिया उस दिन मैं स्वयं अंकित गेस्ट हाउस आटो करके गई और मैंने वह कमरा देखा । कमरा नंबर 1 था।  जहां पर अक्टूबर 2015 में बलात्कार की घटना को अंजाम दिया गया था । मैं वापस शिप्रा पथ थाना मानसरोवर आई कि मैं घटनास्थल को पहचान चुकी हूं लेकिन थाने से ऑफिसर दोनों ही गायब थे तब उच्च अधिकारी को इस बात की जानकारी दी ।  1 साल होने को आया था और किसी ने कोई एक्शन नहीं लिया था इस बीच अंकित गेस्ट हाउस में बाहर से अपना लुक बदल लिया था लेकिन नेट पर पिक्चरें डाल रहा था तो नेट से पता चला कि बाहर से उसका हुलिया बदल गया । अंकित गेस्ट हाउस की बिल्डिंग को और सवार दिया गया है तब 1 दिन 2023 में पुलिस ने  एक पत्र भेजा। मुझसे कहा गया की घटनास्थल की पहचान कराएं जब पुलिस का पत्र आया था तब मेरे पास मोबाइल नहीं था क्योंकि मोबाइल पर मार डालने की धमकियां थी तो मैंने सिम तोड़ दी थी और अपराधी यह चाहते थे कि मेरे पास संपर्क का कोई साधन ना हो इसमें मेरे घर में घुसकर मेरा टैब तोड़ दिया गया।  नया मोबाइल मैंने नहीं खरीदा नहीं था और नई सिम नहीं ली थी । लेकिन मेरा कर्तव्य था कि मैं उस जगह को जाऊ और घटनास्थल की पहचान कराओ । वहां जाना खतरा मोल लेने जैसा था ,आक्रमण हो सकता था । डर था मन में कोई भी कहीं से भी हमला कर सकता था।  पर मैं गई उस दिन ,उस दिन मुझे सुबह थाने में 11:00 बजे बुलाया गया था जब मैं 11:00 बजे गई तो मुझसे कहा गया यह  साहब के घर में किसी की मौत हो गई है तो 2 घंटे आपको थाने में बैठना होगा, थाने में बैठना नहीं चाहती थी इसीलिए मैं घर वापस आ गई और मैं बोलकर आई थाने में कि आपको जब भी जाना हो आप मुझे घर से लेकर जाएं।  दिन में बारिश शुरू हो गई 3:00 बजे तक बारिश होती रहेगी 4:00 बजे के आसपास महीला पुलिस ऑफिसर और एक पुलिस ऑफिसर मेरे घर आए । 
 कहा साहब  गाड़ी में है चलिए बलात्कार स्थल की पहचान करवाने के लिए । शाम का वक्त था कुछ ही घंटों में अंधेरा हो जाता है।  मन में डर था पर मैं उसके साथ गयी । घटनास्थल का नक्शा बनाया जाना था पुलिस ऑफिसर ने घटनास्थल का नक्शा बनाया।   कुछ भी ठीक नहीं लग रहा था अंकित गेस्ट हाउस में।  घुसने पर पंखा बंद करने का आदेश था क्योंकि मैं जानती थी पंखा बंद होगा तो गले में रस्सी डाल के पंखे से लटका दिया जाएगा।  मैंने पंखा बंद नहीं करने दिया उसके बाद अंदर कमरा नंबर 1 दिखाया।  वहां मुझे ऐसा लगा कि मुझे चक्कर आ जाएंगे और मैं उल्टी कर दूंगी मैं तुरंत बाहर आ गई मैंने सिर्फ यही काहा  यही वह जगह है जहां बलात्कार की घटना हुई है और मैं अंकित गेस्ट हाउस के बाद खड़ी हो गई इसे मौका मुआयना किया और नक्शा बनाया।  रात होने को थी 2 घंटे से ज्यादा का समय हो गया था मैंने इस्पेक्टर से कहा मैं अंधेरा होने से पहले घर वापस पहुंच जाना चाहती हूं इस्पेक्टर ने कहा ठीक है नक्शा बना दिया गया और मुझे वापस अंदर बुलाया गया जब मैं  स्वागत कक्ष में खड़ी हुई तो मैंने देखा पंखे के ठीक नीचे टेबल लगा दिया गया था दरवाजे पर मोटे पर्दे लग गए थे और मुझसे कागज पर हस्ताक्षर करने को कहा गया है की अंकित गेस्ट हाउस का नक्शा है इस पर हस्ताक्षर करें इस कागज पर घटनास्थल का कच्चा नक्शा बना हुआ था जबकि मेरे हस्ताक्षर पक्के घटनास्थल पर होने चाहिए थे उस कागज पर जिसमें फाइनल नक्शा बनाया गया था। मेरे दिमाग में तुरंत काम किया। कुछ है जो गलत है । तब मैंने अपने हस्ताक्षर बदल दिया मैं हिंदी में हस्ताक्षर करती हूं और 1 दिन पूर्व उसे जो पत्र दिया गया था उसकी कॉपी पर मेरे हस्ताक्षर लिए गए थे जिसमें मैंने हिंदी में साइन किए थे अपनी जान बचाने के लिए मैंने हस्ताक्षर में परिवर्तन किया और अंग्रेजी में हस्ताक्षर किए।  सबके चेहरे भौचक्के से थे। हस्ताक्षर मैच नहीं हुई 1 दिन पहले हिंदी में थे दूसरे दिन अंग्रेजी में किए थे 1 मुझे हस्ताक्षर के लिए दूसरा कागज दिया गया। दूसरे कागज पर भी अंग्रेजी में हस्ताक्षर किए।  सब मुझे देख रहे थे फिर अंग्रेजी में हस्ताक्षर किए हैं।   मैं सबके साथ गाड़ी में बैठकर थाने आ गए या फिर मुझे एक कागज दिया गया और मुझसे हस्ताक्षर करवाके मेरी पहचान सुनिश्चित की जा रही थी कि मैं हिंदी में हस्ताक्षर करु।  मैंने वहां से जाने की बात कही थाना इंचार्ज ने कहा हम आपको गाड़ी से घर भिजवा देते हैं पुलिस की गाड़ी में जब मैं बैठी  तो गाड़ी की सीट कुछ इस तरीके से थी कि अगर मैं बीच में बैठती तो उसमें धस जाती यानी मैं आसानी से उठ नहीं पाती । मैं बैठी जरूर सीट पर, पर मेरी टांगों में दर्द हो गया क्योंकि मैं एक किनारे पर बैठी बीच में नहीं बैठी। अब किनारे की सीट ज्यादा उठी हुई थी  मेरे पैर जीप के  तल पर नहीं टच कर रहे थे घर तक पहुंचने में मेरे पैरों में दर्द हो गया । जब पुलिस जीप मुझे घर छोड़ने आ रही थी तुम मुझे एक निश्चित स्थान पर छोड़ना चाहते थे पर मैंने निश्चित स्थान से पहले ही गाड़ी रुकवा दिया और कहा कि मेरा घर उस गली से नहीं इस गली से ज्यादा नजदीक है मुझे यही उतारे उन्हें ना चाह कर भी गाड़ी रोकनी पड़ी मुझे पता था उस निश्चित स्थान पर कोई ना कोई मुझ पर वार करने के लिए तैयार खड़ा होगा मैं एक अलग रास्ते से अपने घर तक आ गई और उस दिन मैंने अपना फर्ज अदा किया घटनास्थल का मुआयना करवाया पुलिस को। कुछ दिनों बाद मदर्स डे 2023 आ गया। मैं न खुश थी ना उदास थी बस में संतुष्ट थी कि मैंने अपना कर्तव्य पूरा किया अपराध हुआ है तो अपराध के साक्ष्य देने का कर्तव्य पूरा करना बलात्कार पीड़िता का होता है जो मैंने किया।  मैं मां हूं तो मेरी जिम्मेदारी बनती है कि मैं मेरी बेटी के लिए एक सुरक्षित जहां छोड़ू जहां पर बलात्कारियों की कोई जगह नहीं होगी। मैं नहीं जानती कि आज की युवा पीढ़ी की परवरिश किस तरह की जा रही है कि वह औरत को सम्मान देना ही नहीं चाहते मैं आसपास देखती हूं बचपन से लड़कों को सिखाया जा रहा है कि लड़कियों को दबोच कर रखना है लड़कियों को।   भाई है तो बहन को खेलने नहीं जाने देगा कि बाहर माहौल ठीक नहीं लेकिन वही भाई पार्क में घंटों खेलता रहता है लड़की से बचपन से आशा की जाती है कि वह घर में रहेगी बाहर नहीं जाए। युवाओं को महिलाओं की रैकी में काम लिया जा रहा है ।  युवाओं को मां समान महिलाओं का सम्मान करना चाहिए। 
पर  मां समान महिलाओं की रैंकी करते हैं और उन्हें नुकसान पहुंचाने के लिए उनके पीछे रस्सी, चाकू, पालीथिन, डंडे लेकर चलते हैं कि हम इस महिला को खत्म कर देंगे । इस महिला ने बलात्कार की शिकायत की है पुलिस में और यह न्याय मांगने न्यायालय तक पहुंच गई । पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं को उठना होगा अपने बच्चों की परवरिश पर ध्यान देना होगा वक्त से पहले घर से बाहर पढ़ने नहीं भेजता जब तक यह बात नहीं समझ जाते कि महिला किसी की घर की हो सम्मानीय है और उसको सम्मान मिलना चाहिए।

©Babita Wadhwani
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बलात्कार स्थल की पहचान

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