थी द्रुपद देश की राजकुमारी,.................................................. थे परम ज्ञानी कुलगुरु परम महात्मा विदुर परम पितामह वहाँ उपस्थित थे पर उस अधर्म में अपना धर्म निभाने ये सभी वहाँ बैठे नतमस्तक थे फिर गुरु की प्रेरणा से द्रौपदी को गुरु मंत्र का ज्ञान ध्यान तब आया और फिर सती द्रौपदी ने श्री कृष्ण को करुणा की गुहार से चिल्लाया जैसे ही श्री कृष्ण बहन की पुकार सुनते है छोड़ देते है सब काम वही और बिन खडाऊं ही दौड़े आते हैं श्री कृष्ण ने द्रौपदी की सारी का इतना चीर बढ़ा डाला..और खिचवा खिचवा कर दुश्वासन का हाल बेहाल कर डाला | वहाँ बैठे सभी अधर्मियों को गजब अचंभा होता है ऐसे कैसे एक बेबस नारी का चीर एकतरफा बढ़ता है तब श्री कृष्ण की मौजूदगी का द्रौपदी को अनुभव होता है फिर हो जाती है बेफिक्र द्रौपदी, और फिर सौगंध उठाती है और उसी सौगंध के चलते एक कृष्ण भक्त नारी वृहत महाभारत की नीव रख जाती है| इतिहास गवाह है इस युग में जब जब एक सती नारी की लाज पर आंच आती है, फिर इस सारे ब्रह्मांड में एक प्रलय सी खलबली मच जाती है | ©Sthapak Harshita द्रौपदी