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ताजमहल ताजमहल कि खुबसुरती बता सकूँ, इतना मेरे अ

ताजमहल 

ताजमहल कि खुबसुरती बता सकूँ, 
इतना मेरे अंदर शब्द कहाँ है। 
कितनी हसीन होगी, वो मेहबूब 
जिसके लिए बनवाया गया, 
ए मुमताज महल यहाँ (आगरा) है।। 

सोच कर भी आँखे मेरे नम हो जाए, 
इतनी यादगार तोफा दे गया। 
कई वर्षों तक, जिसके नीचे मोहब्बत की 
चर्चें होंगे, 
इतिहास कि ऐसी प्रेम कहानी दे गया।। 
इक शंहशाह ने बनवा के हसीं ताजमहल, 
सारी दुनिया को एक मोहब्बत -ए- निशानी
दे गया।। 
लेखक : विजय सर जी

©Vijay Kumar #tajmahal  हिंदी कविता
ताजमहल 

ताजमहल कि खुबसुरती बता सकूँ, 
इतना मेरे अंदर शब्द कहाँ है। 
कितनी हसीन होगी, वो मेहबूब 
जिसके लिए बनवाया गया, 
ए मुमताज महल यहाँ (आगरा) है।। 

सोच कर भी आँखे मेरे नम हो जाए, 
इतनी यादगार तोफा दे गया। 
कई वर्षों तक, जिसके नीचे मोहब्बत की 
चर्चें होंगे, 
इतिहास कि ऐसी प्रेम कहानी दे गया।। 
इक शंहशाह ने बनवा के हसीं ताजमहल, 
सारी दुनिया को एक मोहब्बत -ए- निशानी
दे गया।। 
लेखक : विजय सर जी

©Vijay Kumar #tajmahal  हिंदी कविता