आज़ादी की उस ख़ुशबू में बँटवारे की गंध पुरानी है । बँटवारे की इन लकीरों से बटा नदियों का पानी है । राबी पूँछें चेनाब से डरकर क्या हाल है मेरे सतलुज का ? आइ आवाज़ उस पर से छुपकर अब रास्ता दूर है पेशावर का । बँटवारे के वो दाग़ थे गहरे दुश्मन बने जो भाई थे ठहरे कितनो को बेघर कर गए ये कैसा सौदा कर गए ? आज़ादी की उस ख़ुशबू में कितने वीरों की क़ुर्बानी है अपनो से ही लड़ते रहना इस देश की यही कहानी है । #yqdidi #yqquotes #india #pakistan #partition #humanity #unity