मुझे दर्द भी चाहिए अपनी शर्तों पर, शुकुन भी चाहिए अपनी ही शर्तों पर | अकेलापन भी चाहता हूँ मैं, पर संगम भी चाहिए अपनी शर्तों पर | क्या संभव है मेरी ये चाहतें, क्या सही है ये बातें? उनकी भी तो अपनी जिंदगियाँ हैं, जिनको चाहता हूँ दूर या करीब खुद के, अपनी ही शर्तों पर || असर बहुत बुरा होगा शायद, जो सब चाहता हूँ अपनी शर्तों पर | रह जाऊंगा अकेला अंत में, सब चले जायेंगे जिंदगी की शर्तों पर || ©Shivam kumar #कठपुतली