बड़ी गहराइयों तक छू जाते हो तुम तुम्हारी अनकही बाते जो मैं बस देखकर समझ जाती हूं। तुम्हारी आंखो में कैद वो दर्द ,जो मुझसे नजरे मिलाते ही खामोशी से छलक जाता है। बड़ी गहराइयों तक छू जाते हो तुम। जब तुम उलझ जाते हो किसी अनसुलझी सी पहेली में, अपने दोनों हाथों की उंगलियों के आगे के सिरे को, अपनी माथे की कनपटियों पर लगाते हो। अपनी भौहों को सिकोड़कर नाक की सिलवटों से सटाते हो। बड़ी गहराइयों तक छू जाते हो तुम