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इक सुकून सी हैं सुबह की पालकी में जाने आज क्या उत

इक सुकून  सी हैं सुबह की पालकी में
जाने आज क्या उतारती हैं
मेरे घर के कोने कोने में
छानकर धूप बिखर गई
और पालकी  रूकसद हो गई
चाय पूछा था ,तो बोली 
और भी  दरवाजे खुले हैं
उनकी फेरी तो लगा लूं।

©vandana Singh
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