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जालिम ने जुल्म ढाए बहुत , अपनो ने साथ निभाये बहुत।

जालिम ने जुल्म ढाए बहुत ,
अपनो ने साथ निभाये बहुत।
जालिम खुद हाकिम बन बैठा, 
हुकुम पर हुकुम सुनाए बहुत ।।
अपनो ने ही खूब सताया ,
हम हाकिम को क्यों कुछ कह दें ,
अपना घर बना काला पानी ,
चमचों ने आनंद उठाया बहुत ।।
यही प्रथा आज तक चल रही 
चमचे सबके प्रिय चहेते ।
सही हुनर की कद्र ना कोई, 
चमचागिरी ने लुभाया बहुत ।।
पुष्पेन्द्र "पंकज"

©Pushpendra Pankaj
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 चमचागिरी

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