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छत पर आकर उनका बालों का छिटकना, जैसे बारिश,और फिर

छत पर आकर उनका बालों का छिटकना,
जैसे बारिश,और फिर सोंधी मिट्टी सा मेरा महकना।
कुछ भी कहने कि तब जरूरत ना रहती थी,
इशारो-२ में रोज श्याम रोशन होती थी।
समय हो कर भी थोड़े पाबंद से थे,
उनके आने-जाने के वक़्त में,कैद जो थे।
रिश्तों के कुछ भी नाम न थे,
चाहतों के सागर मे हम,कुछ और ही थे।
अब तो हर रिश्ते की तहक़ीक़ात होती है,
हकीक़त से परे,लोग क्या सोचेंगे इसी में बात होती है।


 एक ख़ूबसूरत #collab Cascade Writers की जानिब से।
#चाहतोंकामज़ा #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
#lovequotes #lifequotes #jindagi
छत पर आकर उनका बालों का छिटकना,
जैसे बारिश,और फिर सोंधी मिट्टी सा मेरा महकना।
कुछ भी कहने कि तब जरूरत ना रहती थी,
इशारो-२ में रोज श्याम रोशन होती थी।
समय हो कर भी थोड़े पाबंद से थे,
उनके आने-जाने के वक़्त में,कैद जो थे।
रिश्तों के कुछ भी नाम न थे,
चाहतों के सागर मे हम,कुछ और ही थे।
अब तो हर रिश्ते की तहक़ीक़ात होती है,
हकीक़त से परे,लोग क्या सोचेंगे इसी में बात होती है।


 एक ख़ूबसूरत #collab Cascade Writers की जानिब से।
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