कतरा कतरा अश्क, पानी मे बदल रहा है, जबसे तेरा इश्क रंग बदल रहा है दिल की ,शामें जल्द हो रही हैं तेरी चाहत का दिन जो ढल रहा है गर्म मौसम भी है सर्द रातें भी, दिन में दिल जल रहा हे रात मे पिघल रहा है तेरे आने की ख़ाहिश , तेरे जाने का ग़म भी ना जाने भीतर क्या क्या चल रहा है एक तो बेचैनी उसपे दर्द की बारिश दिल मेरा धड़क रहा जैसे, उछल रहा है यूं तो हर दवा कर के देख ली हमने बस तेरी यादों से ग़म सम्भल रहा है । #बेचैनी