“छिपकली” हास्य कहानी अनुशीर्षक में👇👇 बात उस समय की है जब हम बनारस शहर में हॉस्टल में रह कर पढ़ाई कर रहे थे। एक रूम में दो लड़कियां रहती थी। जब हमने हॉस्टल रहना शुरू किया तो एक लड़की नम्रता रहने के लिए आई। वो क्लास, रूम और मेस सभी जगह अपने घर परिवार और अपने बारे में उसे यही कहते पाया कि हम लोग रजवाड़े खानदान से हैं, हम लोग के पास अस्सी करोड़ की प्रॉपर्टी है। तुम लोग मुझसे गरीब मेरे सामने टिक नहीं पाओगे। हम लोग ने कहा कि तुम्हारे पास तो करोड़ है, पचास पचास लाख हमें लोग को ट्रांसफर कर दो तुम्हारे बराबरी हम लोग भी आ जायेंगे। खैर बात आई और गई। एक दिन हॉस्टल के गेट से अंदर आते वक्त नम्रता के माथे पर हल्का सा चोट लग गया। फिर क्या था पूरा हॉस्टल में बस रोने का माहौल, घर से बार बार फोन आना। जब डॉक्टर के पास लेकर गए तो उसने बोला बहुत मामूली चोट है एक दो दिन में। ठीक हो जायेगा। दूसरे दिन वो क्लास में जाकर अटेंडेंस लगने के वक्त मैडम से रोकर कहा, मैडम, मुझे बहुत चोट आई है, सर में लगातार दर्द बना हुआ है। मुझे एक सप्ताह का मेडिकल छुट्टी चाहिए। मैडम ने एप्लीकेशन और मेडिकल सर्टिफिकेट माँगीं। दूसरे दिन फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट और एप्लीकेशन मैडम को देकर हॉस्टल चली गई। जबकि वो अपने बॉयफ्रेंड के साथ रोज़ हॉस्टल से लंका और अस्सी घूमने जाती थी। एक दिन मैडम ने उससे घूमते देख आश्चर्य से बोली, अरे नम्रता तुम तो मेडिकल लीव पर चल रही हो, तुम तो ठीक लग रही हो, उसने तुरंत कहा, नहीं मैडम, आज मैं ct scan कराने आई थी। मैडम ने पूछा कि ये लड़का कौन है? नम्रता ने कहा कि ये मेरे फुफरे भाई हैं। मैडम ने उसके बाद कुछ नहीं बोला। वो घर चली गईं। हॉस्टल आने पर हम लोग को ये पता चला कि अपने बॉयफ्रेंड को फुफरा भाई बना दिया तो हम सबने अपना माथा पीट लिया। सबने कहा इसका कुछ नहीं हो सकता। धीरे धीरे पांँच साल का एग्जाम के बाद।रिजल्ट आने पर पता चला कि नम्रता महारानी को सभी पेपर के प्रैक्टिकल फुल मार्क्स मिले हैं। हम लोग साल भर क्लास और प्रैक्टिकल कर भी कम नंबर लाए हैं। मन में उससे लिए।गुस्सा तो बहुत था, एक दिन हॉस्टल में कुछ लोगों से बात करते के रही थी कि मुझे छिपकली से बहुत डर लगता है। हम चार दोस्त मैं, भावना, पूनम और नूतन एक दिन बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने गए। लौटते समय हमें गली में एक दुकान प्लास्टिक का छिपकली बिक रहा था, फिर किस बात की देरी हम चारों के मन में खुराफात सुझा और तुरंत छिपकली ख़रीद ली। हॉस्टल में आकर हमने दस्ताने पहन कर लिफ़ाफे में छिपकली डाल दिया, उसको चिपका कर उल्टे हाथ से हॉस्टल का पता लिखा जिससे हम handwriting की वजह से पकड़े ना जाएं। अगले दिन हमने पोस्ट कर दिया। जानने वाली बात यह है कि हमने दस्ताना क्यों पहना, वो इसलिए कि एक दिन हमने सुना, नम्रता किसी से कह रही थी मेरे घर पर किसी ने उल्टा सीधा लिख चिट्ठी भेजा था तो पापा ने कहा कि DNA fingerprinting से पता लगाएं हिगे कि कौन भेजा है? वो हमें भी पता था कि इतने छोटी सी गलती या मज़ाक के लिए कोई DNA fingerprinting थोड़े ही कराएगा।