संविधान सभा में जब मतदान के अधिकार और चुनाव की चर्चा हो रही थी तो पूर्व पंजाब से चुने गए सदस्य ठाकुर दास भार्गव ने एक सुझाव रखा था कि जिस संविधान सभा में खारिज कर दिया था उनका सुझाव था कि सामान और व्यस्त मतदान के अधिकार पर एक शर्त जोड़ दी जानी चाहिए वह सर्दी की साक्षरता की ठाकुरदास भार्गव का सुझाव बेहतर होते हुए इसलिए किया गया क्योंकि भारत की साक्षरता दर महज 12% मतदान के अधिकार पर चर्चा करते हुए संविधान सभा के अधिकांश सदस्य उम्मीद थी कि भविष्य में भारतीय लोकतंत्र संविधान प्रधान संघ का अधिकार समाज को बनाने के लिए और आगे बढ़ता जाएगा यह उम्मीद पूरी भी हो गई चुनाव दर चुनाव भारत में जाति धर्म बुनियादी क्षेत्र लगातार मजबूत होते जा रहे हैं जाति धर्म और क्षेत्र की संकुचित मानसिक को बढ़ावा देने के लिए वे अक्सर राजनीतिक दल सवालों के घेरे में रहते हैं इस पर शोध में यह बुनियादी कोठे आहे जिस भी पक्ष के राजनीतिक हो वह महज दिखावे के लिए समाज सेवा रह गई है आज की राजनीति की निगाह हर पल सत्ता में लगी रहती है तब अब राजनीति में समाज सेवा के लिए सत्ता को ही साधन मान लिया है आर्थिक व्यवस्था भी वैसी ही हो गई है इसलिए धर्म जाति और क्षेत्र के संकुचित वादे को बढ़ावा देना और जिसके जरिए सत्ता की आंखों पर निशाना साधना दलों के हो गई है ©Ek villain #मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने का सवाल #illuminate