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आरज़ू रुत ये यादों की है पैमाने पे पैमाने लगे हैं।

आरज़ू रुत ये यादों की है पैमाने पे पैमाने लगे हैं।
इस जवानी में ही मयखाने में हम जाने लगे हैं

दौर ये कैसा है मुझको ए खुदा तू ही बता दे,
ख़ूब-रू की आरज़ू में कितने' दीवाने लगे हैं।

ख़ूब-रू = हसीना #आरज़ू
आरज़ू रुत ये यादों की है पैमाने पे पैमाने लगे हैं।
इस जवानी में ही मयखाने में हम जाने लगे हैं

दौर ये कैसा है मुझको ए खुदा तू ही बता दे,
ख़ूब-रू की आरज़ू में कितने' दीवाने लगे हैं।

ख़ूब-रू = हसीना #आरज़ू