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साहिल से तसदीक़ तसल्ली की करते हैं दूर से हिलते हाथ

साहिल से तसदीक़ तसल्ली की करते हैं
दूर से हिलते हाथ वो नकली से लगते हैं
झकझोरती भँवर में डूबती उतरती साँस
एहसास उनको क्या जो लहरों से डरते हैं
डूबने वाले! जज़्ब खूब हैं ज़नाब
एक सलाम लहरों को एक साहिल को करते
आशिक़ी हुनर है मुसलसल सफ़रनवा
बेदिल शय महज़ समात मंज़िल की करते हैं
 #waves_of_life
साहिल से तसदीक़ तसल्ली की करते हैं
दूर से हिलते हाथ वो नकली से लगते हैं
झकझोरती भँवर में डूबती उतरती साँस
एहसास उनको क्या जो लहरों से डरते हैं
डूबने वाले! जज़्ब खूब हैं ज़नाब
एक सलाम लहरों को एक साहिल को करते
आशिक़ी हुनर है मुसलसल सफ़रनवा
बेदिल शय महज़ समात मंज़िल की करते हैं
 #waves_of_life