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कितनी हिफाज़त से खड़ी की थी ये ज़मीं जिस पर तूने

 कितनी हिफाज़त से खड़ी की थी ये ज़मीं 
जिस पर तूने आज चौखट लगा दिया।।

खून पसीने से सींचकर खड़ा किया था जो मक़ा
आज उसी के अंधेरे से तुमने मुझे बुझा दिया।।

इतना अज़ीज़ पलंग बना था जो हाथों से बुनकर
उसी को तूने आज़ अंतिम कवच बना लिया।।

नज़रंदाज़ करते थे जिनकी बातों को तुम सुनकर
आज उसी समाज को तुमने उल्टाआइना दिखा दिया।।

साथ रहने का वायदा किया था जो हंसकर तुमने 
सबको रुलाकर उसमें आज अंकुश लगा दिया।।

चांद सी शक्ल थी और बेशक़ीमती  बातें तुम्हारी
उनसब पर मिट्टी डालकर आज मुझसे दफ़न करवा लिया।।

बस अब अकेला आया था अकेला ही जाऊंगा यह सोचकर
तुमने और इस ज़मीं ने आज से अब जीना सिखा दिया।।

- नीरज डंगवाल

©Neeraj dangwal
  #oddone Starting to ending 😔

#oddone Starting to ending 😔 #कविता

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