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शब-ए-वस्ल को रूह निगाहों में ढूंढती मंजिलें अपनी,

शब-ए-वस्ल को रूह निगाहों में ढूंढती मंजिलें अपनी,
सहर को इल्म हुआ, अब राह-ए-नजरिया भी एक है। Shitanshu Gupta भाई आपकी दोस्ती और स्नेह को समर्पित करके हुए ये दो पंक्ति जो आपको बेहद पंसद आयी यहाँ लिख रहा हूँ🙏🙏😊
#yqdid #yqyopowrimo  #YourQuoteAndMine
Collaborating with  Sanjay Kanojiya
Sanjay भाई बहुत अच्छा लिखे थे बस छू गए, ये बहुत ही गहरे शब्द...
बिल्कुल मुक्कमल शब्द थे...👌👌
Deep one...👍👍
मेरी एक कोशिश, फ़क़त निगाहों के मिलन पर....
शब-ए-वस्ल को रूह निगाहों में ढूंढती मंजिलें अपनी,
सहर को इल्म हुआ, अब राह-ए-नजरिया भी एक है। Shitanshu Gupta भाई आपकी दोस्ती और स्नेह को समर्पित करके हुए ये दो पंक्ति जो आपको बेहद पंसद आयी यहाँ लिख रहा हूँ🙏🙏😊
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Collaborating with  Sanjay Kanojiya
Sanjay भाई बहुत अच्छा लिखे थे बस छू गए, ये बहुत ही गहरे शब्द...
बिल्कुल मुक्कमल शब्द थे...👌👌
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मेरी एक कोशिश, फ़क़त निगाहों के मिलन पर....