हार जाते अबतक अगर तू ना होती एक हारी हुई को तू कैसे संवारती। गिर कर उठना कहां आता था हमे तू ही हर बार हमे अपनी हौसलों से उठाती। ख़्वाब देखने के लिए आखें बहत छोटी है पर तुम्हारे आखों में तो मुझे ब्रम्हांड दिखती । ख़ुद को नासमझ मानती आई थी अबतक पर तुम्हारा बेटी होने का गर्व आखों से छलकती । मुझे हारने ना देने वाला वो प्यार का ताकत वहीं तो मेरे लिए खुदा का इनायत लगती । #yqhindi #yqdidi #yqbaba#gazzal