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म्हारा मन मं गुंज्यों राग। खेलज्यो सीमा प ही फाग।।

म्हारा मन मं गुंज्यों राग।
खेलज्यो सीमा प ही फाग।।

न रंग को अर न चंग को,
न छाछ मं घाेली भंग को,,
देश का वीर रांझनावो,
सीमा प उड़र्या काग।

म्हारा मन मं गुंज्यो राग।
खेलज्यो सीमा प ही फाग।।

©Satish Kumar Meena
  सीमा प फाग

सीमा प फाग #कविता

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