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सवैया छंद मन,मीत भयो जब श्याम मेरो कोई और बसे न मे

सवैया छंद
मन,मीत भयो जब श्याम मेरो कोई और बसे न मेरे मन माही।
पट पीत सजे, गिरिधारी के,मोहिनी मूरत छवि बिसरत नाही।
मुरली अधरन-मुरलीधर के,बिन धुन-सुन जी लागत नाही।
नाच नचावे नंदलाल मोहे, मैं नाचूं और मोहे कछु सूझत नाही।

©Dr Nutan Sharma Naval
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